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Very Emotional And Inspirational Story In Hindi - यह कहानी आपको रोने पर मजबूर कर देगी।

Very Emotional And Inspirational Story In Hindi - यह कहानी आपको रोने पर मजबूर कर देगी।

Read this Very Emotional And Inspirational Story In Hindi;


You will be forced to weep while reading this story. This story is full of emotion and Inspiration.

In this story You will know how bad company affects Rahul's life. The story depicts Rahul's journey from childhood to adulthood.

I hope you will enjoy this story and you will get to learn a lot from this story.

So without wasting any time let's start reading this Very Emotional And Inspirational Story In Hindi.


बुरी संगति का असर - Very Emotional And Inspirational Story In Hindi


Emotional And Inspirational Story In Hindi 


"यह कहानी है एक छोटे से शहर में रहने वाले राहुल की, कौन था राहुल चलिए जानते हैं।"


यह कहानी एक छोटे से शहर में रहने वाले राहुल की है जो एक मध्यम परिवार से था। राहुल के पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे इसलिए वह शहर के एक छोटे से कपड़ा फैक्ट्री में काम किया करते थे। लेकिन उसके पिता बहुत इमानदार और मेहनती व्यक्ति थे। राहुल की मां हाउसवाइफ थी। 

उसके माता-पिता राहुल को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाना चाहते थे ताकि वह अपने जीवन में कुछ कर पाए। वह उनके तरह जीवन जीने को मजबूर न हो। इसलिए उन्होंने राहुल का एडमिशन एक प्राइवेट स्कूल में कराया था ताकि वह वहां अच्छे से पढ़ाई कर सके।

राहुल भी एक समझदार लड़का था। वह अपने माता-पिता के भावनाओं को समझता था। उनके मेहनत को देखता और समझता था इसलिए वह भी अच्छे से मन लगाकर पढ़ाई करता था। 

जैसे-जैसे राहुल ऊंची क्लास में जाते जाता है वैसे वैसे उसके क्लास fee, किताबें और उसका खर्चा बढ़ते जा रहा था, जिसको पूरा करने के लिए उसके पिता को बहुत मेहनत करना पड़ता था। वह अपनी फैक्ट्री में ओवरटाइम भी किया करते थे ताकि वह उसके पढ़ाई का खर्चा अच्छे से चला पाए।

उसके पिता का मानना था कि कुछ भी हो बेटे को पढ़ाना है इसके लिए मैं और मेहनत करूंगा। वह अपने तरफ़ से पूरी कोशिश किया करते थे कि राहुल की पढ़ाई अच्छे से चलती रहे। 

धीरे-धीरे बीते समय के साथ राहुल ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पास कर लेता है। राहुल दसवीं में भी अच्छे अंको से पास हो जाता है और बारहवीं में भी उसे अच्छे अंक प्राप्त होते हैं। उसके माता-पिता उसकी मेहनत और लगन को देखकर काफी खुश थे।


"राहुल का कॉलेज में एडमिशन हो जाता है। इसके बाद क्या होता है चलिए आगे की कहानी पढ़ते हैं।"


बारहवीं के बाद राहुल का एडमिशन कॉलेज में करा दिया जाता है। उसके क्लास में तीन-चार ऐसे भी लड़के थे जो बहुत अमीर घर से थे और बहुत शरारती भी थे, जिनका मन पढ़ने में कम और दूसरों को परेशान करने में ज्यादा लगता था।

एक दिन की बात है राहुल के क्लास में उसके प्रोफ़ेसर द्वारा बताया जाता है कि मंडे को तुम सब का टेस्ट है। इसलिए तुम सब अभी से तैयारी शुरू कर दो, एक हफ़्ते का समय है तुम लोगों के पास। फिर वह पूरे क्लास को ऑल द बेस्ट कहते हैं और चले जाते हैं।

राहुल एक अच्छा स्टूडेंट था यह बात जो उसके क्लास के तीन चार शरारती स्टूडेंट्स थे, उनको भी पता था। इसलिए वह राहुल के पास आते हैं और उसे हेल्प मांगते हैं और कहते हैं राहुल तुम डेली कॉलेज आते हो और तुम पढ़ने में भी ठीक हो तुम्हें हम लोगों की मदद करनी पड़ेगी।

राहुल उनकी बातों को सुनता है और मना नहीं कर पाता है फिर कहता है ठीक है, मैं तुमलोगों की मदद कर दूंगा। अगले दिन से उन तीनों चारों का राहुल के साथ उठना बैठना शुरू हो जाता है और राहुल उनकी टेस्ट प्रिपरेशन में मदद भी करता है। 
बीतते समय के साथ राहुल उनका दोस्त बन जाता है। वे सब कभी-कभी राहुल को अपने बर्थडे पार्टी या घर के किसी फंक्शन में बुलाया करते थे।

राहुल उनके जीवन में सारी सुविधाओं को देख कर के बहुत प्रभावित हुआ और सोचता काश मैं भी किसी ऐसे ही घर में पैदा हुआ होता तो मेरी भी जिंदगी में ये सारी सुविधाएं होती। 

जबकि राहुल के माता-पिता भी उसे किसी चीज की कमी नहीं होने देते थे।


"बुरी संगति का असर राहुल पर कैसा पड़ा जानने के लिए कहानी पढ़ना प्रारंभ रखिए।"


जैसी संगति होती है, उसका असर भी वैसा ही पड़ता है। राहुल की दोस्ती ऐसे लड़कों से हो गई थी जो शरारती तो थे ही साथ ही साथ सभी नशा भी करते थे तो स्वाभाविक है कि गलत संगति का असर उस पर भी पड़ता, ठीक वैसा ही हुआ। राहुल भी उनके साथ रहते रहते नशा करना सीख लिया था। 

धीरे-धीरे उसके स्वभाव में भी बहुत बदलाव आता गया वह पहले के मुकाबले पूरी तरह से बदल चुका था। पहले जितना सोचता समझता था, वह बात अब उसमें नहीं रही।

उसको यह तक समझ नहीं आ रहा था कि सभी का जीवन एक समान नहीं होता। अब जब वह अपने दोस्तों के पास सारी सुविधाएं देखता था तो उसे लगता था कि मेरे भी जीवन में सारी सुविधाएं क्यों नहीं है। इस बात पर कभी-कभी वह अपने माता-पिता से भी बहस कर बैठता था। 


"राहुल अपने माता-पिता से क्यों कहता है कि इतना तो सभी अपने बच्चों के लिए करते हैं चलिए जानते हैं।


राहुल की ग्रेजुएशन कंप्लीट हो जाती है उसके दोस्त किसी बड़े शहर में जाकर के आगे की पढ़ाई करने वाले थे। यह बात वे राहुल को भी बताते हैं और कहते हैं कि बहुत सारे लड़के हैं जो दूसरे शहर में जाकर के पढ़ाई करने वाले हैं। हम सब भी जा रहे हैं इसलिए तुम भी चलो।

और भी उनके बीच बहुत सारी बातें होती हैं। राहुल को उन सब की बातों को सुनकर लगता है कि उसे भी शहर जा करके पढ़ना चाहिए। 

एक दिन राहुल अपने माता-पिता के साथ बैठकर भोजन कर रहा था तब भी वह अपने माता-पिता से कहता है।

राहुल - अब मैं आगे की पढ़ाई शहर जाकर करना चाहता हूं। मेरे सभी दोस्त भी शहर जा रहे हैं।

उसके माता-पिता उसकी बातों को सुन रहे होते हैं फिर उसकी मां कहती हैं - शहर में पढ़ने के लिए तो काफी पैसा लगेगा बेटा। हम इतने सारे पैसे लाएंगे कहां से, हमने तुम्हें कभी पढ़ने के लिए नहीं रोका, लेकिन बेटा शहर में पढ़ाने के लिए हमारे पास इतने पैसे नहीं है।

राहुल को अपनी मां की बातें अच्छी नहीं लगी। फिर वह गुस्से से थोड़े ऊंचे स्वर में कहता है - मैं नहीं जानता, आखिर आप लोगों ने मेरे लिए किया ही क्या है। इतना तो सभी अपने बच्चों के लिए करते हैं इतना कहकर वह अपने कमरे में चला जाता है।


Very Emotional And Inspirational Story In Hindi,

" राहुल के माता-पिता ने शहर जाकर पढ़ने के लिए राहुल को इतने सारे पैसे कहां से दिए आगे क्या होता है जानने के लिए कहानी पढ़ना प्रारंभ रखिए।"


राहुल की बातों को सुनकर के उसके माता-पिता सोच में पड़ जाते हैं राहुल शहर जाकर पढ़ना चाहता है इसके लिए हम लाखों रुपए लायेंगे कहा से।

राहुल की मां कहती हैं - हमारे पास तो कोई जगह जमीन भी तो नहीं है जिसे बेच कर हम उसकी पढ़ाई में लगा सके। अपना तो सिर्फ़ यह घर ही है हमारे पास अगर इसको बेच देंगे तो रहेंगे कहा।

राहुल के पिता कुछ समय सोचने के बाद कहते है - हमारे पास कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं है लाखों रुपए हमें उधर देगा कौन। बेटा पढ़ लिख लेगा तो फिर से घर भी बन जायेगा। अपनी पत्नी को समझाते हुए कहते है की तुम चिंता मत करो सब समय के साथ ठीक हो जाएगा।

राहुल के माता-पिता अपने घर को बेच देते हैं यह बात वह राहुल को नहीं बताते हैं। राहुल भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है। की इतने सारे पैसे आए कहा से। 

राहुल अपने दोस्तों के साथ शहर चला जाता है। वह शहर जाकर बहुत खुश था। यह उसका पहला अनुभव था जब वह अपने छोटे से शहर से निकल कर किसी बड़े शहर में पहली बार गया था। उसकी जिंदगी अपने दोस्तों के साथ बहुत मजे से कट रही थी।

शहर जाकर सभी ने एडमिशन तो ले लिया था पर पढ़ाई पर किसी का विशेष ध्यान नहीं था। राहुल भी अब अपने दोस्तों की तरह ही बन चुका था। जैसे मानो सभी पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि घूमने के लिए गए हो। 

रोज फिजूल के खर्चे, नशा सामग्री पर खर्चे और अपने ऐशोआराम पर खर्च किया करते थे। उनके साथ-साथ राहुल के भी पैसे बेकार चीजों पर खर्च हो रही थी राहुल को यह अहसास नहीं था कि उसके माता-पिता घर बेच कर उसे पढ़ने के लिए पैसे दिए हैं।


'राहुल किससे तल्ख लहजे में कहता है अभी मिलने कि नहीं उन्हें अच्छे डॉक्टर की जरूरत है। आप उनका इलाज अच्छे हॉस्पिटल में क्यों नहीं करवाते। आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ना प्रारंभ रखिए।"


राहुल के माता-पिता इन सभी बातों से अनजान थे उन्हें लगता था कि उनका बेटा शहर जाकर बहुत जिम्मेदारी के साथ पढ़ाई कर रहा है। इस बात की तसल्ली थी उन्हें क्योंकि राहुल के बातों से कुछ ऐसा ही लगता था।

जब भी उनकी राहुल से बात होती तो वह कहता कि उसकी पढ़ाई बहुत अच्छे से चल रही है। वह जल्दी जल्दी बात करता और कहता अभी मैं रखता हूं मुझे अभी पढ़ाई करनी है। 

ऐसे ही समय बीतता गया और राहुल को शहर गए दो साल से भी अधिक का समय हो गया। इधर उसके माता-पिता की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी क्योंकि उसके पिता जिस फैक्ट्री में काम किया करते थे वह बंद हो चुकी थी।

जिसके कारण उसके पिता इधर-उधर काम किया करते थे घर का किराया और जैसे तैसे वे दोनों अपना गुजारा कर पा रहे थे उसकी मां का तबीयत कुछ ज्यादा ठीक नहीं रह रहा था।

एक दिन राहुल को उसके पिता का फोन आता है उसके पिता कहते हैं - राहुल तुम्हारी मां का तबीयत खराब है। एक-दो दिन से कुछ ज्यादा ही खराब हो गया है वह तुम्हें बहुत याद कर रही है और तुम्हें भी गए हुए शहर काफी दिन हो गए इसलिए तुम्हें अब आना चाहिए।

राहुल बिना सोचे समझे तल्ख लहजे में कहता है - अभी मेरा कुछ दिनों में एग्जाम चलने वाला है और मां को अभी मिलने कि नहीं, अच्छे डॉक्टर की जरूरत है आप उनका इलाज किसी अच्छे हॉस्पिटल में क्यों नहीं करवाते, वह ठीक हो जाएंगी।

जब उसके पिता यह बातें सुनते हैं तो उनको बहुत बुरा लगता है। और वह आगे फिर कुछ नहीं कह पाते फोन रख देते हैं। उसकी तल्ख लहजे से उनका विश्वास राहुल पर से धीरे-धीरे उठने लगा। उनको उसपर विश्वास करने का मन नहीं हो रहा था उन्हें लगने लगा कि अब शायद उसको हमारी जरूरत नहीं रही।

राहुल की मां का तबीयत दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहा था। उसकी मां एक बहुत बड़ी बीमारी से ग्रसित थी जिसके इलाज के लिए लाखों रुपए की आवश्यकता थी। उसके पिता अपनी सामर्थ्यता के अनुसार बहुत जगह अपनी पत्नी का इलाज करवाए पर उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था। 
उसके पिता पैसों की कमी की वजह से बड़े हॉस्पिटल में उनका इलाज कराने में असमर्थ रह गए और धीरे धीरे तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ने के कारण कुछ दिनों बाद उसके माता की मृत्यु हो जाती है।

उसकी मां की मृत्यु के बाद उसके पिता बिल्कुल अकेले हो जाते हैं उनकी जीवन मानो पूरी तरह से खत्म हो गई हो। उनको अपने आगे पीछे कोई दिखाई नहीं देता है वह लाचार सा कहीं बैठे रहते और गहरी सोच में डूबे रहते।

एक दिन उनको सड़क के किनारे ऐसे ही लाचार अवस्था में बैठा देख एक व्यक्ति उनके पास आता है और उनके लाचारी का कारण पूछता है। 

वह व्यक्ति ऐसे हीं वृद्ध और असहाय लोगों की मदद किया करता था। इसलिए वह उनसे पूछता है राहुल के पिता हकलाते शब्दों से उस व्यक्ति को थोड़ी बहुत बातें बताते हैं। 

वह व्यक्ती उनकी मदद करने के लिए एक वृद्ध आश्रम के बारे में बताता है और कहता है कि आप वहां पर अच्छे से रह सकते हैं। इसलिए आप मेरे साथ चलिए मैं आपको वहां छोड़ देता हूं। उसके पिता उस व्यक्ती की बात मानकर उसके साथ चले जाते हैं तब से वह वृद्धाश्रम में ही रहने लगते हैं।


"राहुल अब अपने शहर क्यों आना चाहता है और अपने आपको क्यों कोसता है। चलिए आगे क्या होता है जानते हैं"


इधर राहुल को कहीं नौकरी नहीं मिलती है उसके पास जो पैसे थे, वह खत्म होने को रहते हैं। इसलिए वह सोचता है कि वह कहीं नौकरी करें ताकि अपना खर्चा चला सके।

धीरे-धीरे उसके दोस्त भी उससे किनारा करना शुरू कर दिए थे क्योंकि राहुल के पास पैसे नहीं रह गए थे। वह उनके मन मुताबिक खर्च नहीं कर पा रहा था रोज किसी न किसी बात पर उन सब से राहुल का झगड़ा होता।

अब राहुल को एहसास होने लगा था कि मैंने बहुत गलत लोगों के साथ दोस्ती कर लिया है। जब तक मेरे पास पैसे थे इनका साथ मिला। वह खुद को कोसते हुए अपने बीते समय को याद करता है.., मैं कैसे इतना बदल गया। मेरे माता-पिता ने मेरे लिए कितना कुछ किया है और मैंने उनके लिए अभी तक कुछ नहीं कर सका उसकी आंखों से पछतावे के आंसू निकल रहे थे।

राहुल अब खुद को कोसकर या पछताकर क्या करेगा। अब बहुत देर हो चुकी थी राहुल की मां दुनिया छोड़ चुकी थी और उसके पिता सभी मोह माया से दूर जितनी जिंदगी उनकी बची थी, वह जी रहे थे।

राहुल इन बातों से अनजान था कि उसकी मां दुनिया छोड़ चुकी हैं। राहुल की बात अपने पिता से तभी की हुई थी जब उसके पिता उसे वापस आने को कहते हैं। इसके बाद उसकी बात अपने माता-पिता से नहीं हुई थी।

अब राहुल अपने शहर आना तो चाहता है फिर वह सोचता है कि अब मैं कौन सा मुंह लेकर जाऊंगा अपने माता-पिता के सामने। उनके दिए हुए सारे पैसे तो मैंने शहर में बर्बाद कर दिया हैं और अभी तक मैं कुछ नहीं कर पाया हूं। कितना विश्वास था उनको मुझ पर और मैंने उनके विश्वास को तोड़ दिया है। राहुल के पास अब दूसरा रास्ता भी नहीं था अपने शहर लौटने के अलावा। वह खुद को संभालता है और अपने शहर लौट आता है।


"राहुल अपने घर पहुंच कर क्या देखता है जो उसे तेज धक्का सा लगता है। आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ना प्रारंभ रखिए।"


जब राहुल आपने घर पहुंचता है तो देखता है कि उसके घर में कोई और रह रहा है। वहां उसे पता चलता है कि उसका घर बिक चुका है यह सुनकर उसे तेज धक्का सा लगता है।

राहुल खुद को संभालते हुए अपने माता-पिता के बारे में उनसे पूछता है फिर वे लोग कहते हैं कि उन्हें नहीं पता है उसके माता-पिता के बारे में। यह सब बातें सुनकर राहुल बहुत घबरा जाता है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। 

तभी उसे अपने पिता के एक दोस्त की याद आती है जो उसी फैक्ट्री में उसके पिताजी के साथ काम किया करते थे। राहुल जल्दी-जल्दी उनके घर जाता है और उनसे मिलता है राहुल को उसके पिता के दोस्त द्वारा सारी बातें पता चलती हैं। 
मानो उस वक्त राहुल के पैरों तले जमीन खिसक गई हो।

उनकी बातों को सुन कर वह घुटनों के बल वही गिर जाता है, और खुद को रोक नहीं पाता है बहुत जोर जोर से रोने लगता है। वह खुद को कोसते हुए कहता है कि यह सब मेरी वजह से हुआ है, यह सब मेरी वजह से हुआ है। 

उसके पिता के दोस्त राहुल को संभलने को कहते हैं वह उसके भी बारे में सब जानते थे लेकिन उस वक्त उसकी स्थिति देखकर वह भी भावुक हो जाते हैं और उसे समझाते हैं। राहुल खुद को थोड़ा संभालते हुए उनसे हाथ जोड़कर कहता है कि आप मुझे पापा के पास ले चलिए वृद्धाश्रम।


"क्या लगता है आपको राहुल अपने पिता से नजरे मिला पाएगा और क्या उसके पिता उसे माफ़ कर देंगे। यह जानने के लिए आगे पढ़ना प्रारंभ रखिए।"


उसके पिता के दोस्त राहुल को लेकर के वृद्धाश्रम जाते हैं जहां उसकी नजर अपने पिता पर पड़ती है। शाम का समय था, उसके पिता आश्रम के बाहर टहल रहे थे।

राहुल बड़े कदमों से अपने पिता की ओर जाता है और जाकर अपने पिता के गले लगकर जोर जोर से रोने लगता है।

उसके पिता उसको खुद से दूर करते हुए कहते हैं - तुम कौन हो, मैं तुम्हें नहीं जानता।

राहुल रोते हुए कहता है - पापा मैं आपका राहुल, आप मुझे नहीं पहचानते।

उसके पिता ठहराव भरे लहजे से कहते हैं - राहुल कौन राहुल, मुझे तो याद नहीं एक राहुल नाम का हमारा भी बेटा था जो बहुत पहले खो गया। उसके लिए हमने बहुत ठोकर खाए हैं यह सब मैं तुम्हें क्यों बता रहा हूं।

राहुल रोते हुए अपने पिता का पैर पकड़ लेता है और कहता है - पापा आप मुझसे ऐसी बातें मत कीजिए मैं जानता हूं सब मेरी गलती है सब मेरी वजह से हुआ है। आप जितना चाहे मुझे थप्पड़ मार लीजिए, पर मुझे माफ कर दीजिए पापा अब मैं बदल चुका हूं।

उसके पिता कहते हैं - तुम ठीक कहते हो, सब कुछ बदल चुका है वक्त ने मुझे भी बदल दिया है।

राहुल कहता है - मुझे माफ कर दीजिए पापा!

उसके पिता कहते हैं - हम कौन होते हैं माफ करने वाले शायद हमारे फर्ज निभाने में ही कोई कमी रह गई होगी भगवान हमें माफ करें। 

इतना कह कर उसके पिता अंदर वृद्ध आश्रम में चले जाते हैं और राहुल लाचार सा पापा पापा आवाज देता रह जाता है।


"राहुल के पिता के दोस्त किससे कहते हैं कि अगर राहुल कुछ बुरा कर लेगा तो तुम अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाओगे। चलिए आगे पढ़ते है यह कहानी की अंतिम कड़ी है।"


राहुल को अब अपने आगे पीछे कुछ दिखाई नहीं देता है वह क्या करें, कहां जाए, उसको कुछ समझ नहीं आता है। उसमें अपने प्रति नफरत उत्पन्न होने लगती है बहुत से बुरे विचार उसके दिमाग में आने लगते हैं वह अपने भीतर बहुत बुरी स्थिति से गुजारा होता है।

राहुल लाचार सा सड़क पर लड़खड़ाते पैरों से चलता जा रहा था। उसे सड़क पर कैसे चलना चाहिए कोई होश नहीं था। उसके भीतर बहुत बड़ी लड़ाई चल रही थी विचारों की लड़ाई अब मैं जी कर के क्या करूंगा।

उसके पिता के दोस्त राहुल को गुमसुम सा देख समझ जाते हैं कि उसके दिमाग में कुछ बहुत बुरा चल रहा है वह उसके पिता के पास जाते हैं और उन्हें समझाते हैं।

वह राहुल के पिता से कहते हैं - राहुल को माफ कर दो तुम, जो हो गया उसे तो बदला नहीं जा सकता है। लेकिन अगर राहुल अपने साथ कुछ बुरा कर लेता है तो तुम कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाओगे। वह अपने विचार के जंग से बुरी तरह ग्रसित हो गया है वह सिर्फ तुम्हारी सुन सकता है तुम उसे बचालो।

राहुल के पिता को भी एहसास होता है कि अगर राहुल को मेरी वजह से कुछ हो गया तो मैं सच में कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाऊंगा और वह नहीं रहेगा तो मैं फिर जी कर क्या करूंगा।

वह दोनों तेजी से सड़क की तरफ राहुल को ढूंढते हुए आगे बढ़ते हैं। राहुल वैसे ही गुमसुम सा लड़खड़ाते हुए आगे की ओर बढ़ते जा रहा था।

जब उन दोनों की नजर राहुल पर पड़ी तो उसके पिता ने आवाज लगाया - राहुल

राहुल अचानक अपना नाम सुनता है तो उसे कुछ समझ नहीं आता है। फिर वह जब पीछे मुड़कर देखता है तो उसके पिता उसके पीछे खड़े होते हैं। उसकी आंखों में साफ-साफ पश्चाताप देखा जा सकता था उसके पिता उसे गले लगा लेते हैं और उसे माफ़ कर देते हैं।

उस दिन राहुल खुद से वादा करता है कि वह अपने पिता को कभी तकलीफ नहीं देगा जो चीज उनको आहत करेगी, वह कभी नहीं करेगा।
वह अपनी मां को बहुत याद करता जब भी याद करता वह भावुक हो जाता रोने लगता। उसके पिता उसे खामोश डरा सहमा देख समझ जाते हैं कि वह अपनी मां की मृत्यु का दोषी खुद को समझ रहा है इसलिए वह राहुल को समझाते हैं।

और कहते हैं कि तुम्हारी मां एक बहुत बड़ी बीमारी से ग्रसित थी जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई। तुम ख़ुद को दोसी मत समझो। राहुल को यह बात खाए जा रही थी कि वह अपने पिता के कहने पर अपनी मां से मिलने क्यों नहीं आया पर जो हो गया उसे कोई नहीं बदल सकता था।

बीतते समय के साथ राहुल भी धीरे-धीरे संभालने लगा वह अपने पिता की तरह बहुत मेहनत करने लगा और अपना कारोबार अपने शहर में ही शुरु कर लेता है। 

राहुल को जितनी भी बुरी चीजों की लत लगी थी, वह सब छोड़ देता है देखते-देखते राहुल का कारोबार अच्छे से चलने लगता है और वह बहुत जल्द अपना घर भी बना लेता है। 

राहुल अब बिल्कुल बदल चुका था वह एक अच्छा इंसान बन चुका था वह अब हर एक जरूरतमंद के बारे में सोचता, और उनकी मदद भी करता है।





निष्कर्ष - अगर संगति बुरे लोगों से हो जाए तो उसका परिणाम भी बुरा ही होता है राहुल के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह बुरे संगति के कारण बिल्कुल बदल चुका था। उसे अपने अलावा और कुछ नहीं दिखता। अगर राहुल अपने दोस्तों के साथ शहर जाकर पढ़ने की ज़िद नहीं करता तो उसका घर नहीं बिकता और ना ही उसके माता-पिता दर दर की ठोकर खाने को मजबूर होते। क्योंकि वह पढ़ाई से ज्यादा बेकार की चीजों पर पैसा बर्बाद कर देता है। 

सबकी परिस्थिति एक समान नहीं होती है कोई अमीर होता है तो कोई गरीब, इसलिए अपने परिस्थिति और अपने फैमिली को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लेना चाहिए। 

राहुल के माता-पिता ने कभी उसे पढ़ने से नहीं रोका। उसे भी समझना चाहिए था कि इतने सारे पैसे वह कहां से लाएंगे। अगर वही घर उसके मां के इलाज के लिए विक्की होती तो राहुल आज खुद को दोषी नहीं मानता।
जो ऊपर वाला लिखता है वही होता है पर राहुल और उसके पिता को इस बात की तसल्ली जरूर होती की उन्होंने अपनी तरफ से उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की।


उम्मीद करते है कि आपको इस Very Emotional And Inspirational Story In Hindi से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। अपने दोस्तों का चुनाव हमेशा सोच समझकर कीजिए। बुरी संगति अच्छे अच्छे लोग को बदल देती है। संगति का प्रभाव स्वभाव के साथ साथ जीवन पर भी पड़ता है। इसका हमेशा ख्याल रखें।
आप इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें।

धन्यवाद 🙏








































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